Deoghar : बेटियां पढ़ेंगी तभी समाज बढ़ेगा : मंजूनाथ भजंत्री

Jharkhand : अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री की अध्यक्षता में नगर निगम परिसर में दहेज कूप्रथा के विरूद्ध कार्यक्रम एवं महिला सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम का शुभारंभ उपस्थित बच्चियों, महिला अतिथियों व उपायुक्त द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। इसके अलावे कार्यक्रम के दौरान बाजला महिला कॉलेज, हिन्दी विद्यापीठ एवं तेजस्वीनी क्लब की बालिकाओं द्वारा महिला उत्थान व दहेज कूप्रथा के विरूद्ध विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तति से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया गया, ताकि समाज से दहेज कूप्रथा जैसी विसंगतियों को खत्म किया जा सके।

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इसके अलावे कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि सभी को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई देते हुए कहा कि महिलाओं को आर्थिक और सामाजिक रुप से सशक्त बनाने के लिए समाज के अंतिम व्यक्ति को अपनी सोच व नजरिया बदलने की आवश्यकता हैं। इस वर्ष का थीम दहेज कूप्रथा के विरूद्ध लोगों को जागरूक करना है, ताकि समाज ऐसी कुरीतियों को खत्म किया जा सके। वहीं पिछले वर्ष कन्या भ्रूण हत्या के विरूद्ध विशेष जागरूकता थीम जिला प्रशासन द्वारा आयोजित की गयी थी। हर वर्ष 8 मार्च को अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी कतिपय कारणों से 8 मार्च की जगह आज कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। यूं तो एक दिन की जगह पूरे साल महिला दिवस मनाने की आवश्यकता है। वहीं दूसरी ओर 8 मार्च को आत्म अवलोकन करने की आवश्यकता है कि हम किस और जा रहे हैं। वर्तमान में बेटियों की उत्थान व सशक्तिकरण को लेकर केन्द्र और राज्य सरकार के साथ जिला प्रशासन लगातार कार्य कर रही है। इसके अलावे जिले में दहेज कूप्रथा को पूर्ण रूप से खत्म करने के उदेश्य से हम सभी को मिल कर सोचने और इस पर कार्य करने की आवश्यकता है। दहेज कूप्रथा, कन्या भ्रूण हत्या व बाल विवाह जैसी कुरीतियों को समाज से खत्म करने के उदेश्य से सबसे महत्वपूर्ण है कि बेटियों को शिक्षित बनाया जाय, ताकि वो समाज को एक नई दिशा देने में सक्षम हो सके। हमारे देश की संस्कृति समृद्ध है, मगर दो चीजें (दहेज प्रथा व जाति प्रथा) हमारे समाज को जिस गति बदलना चाहिए उसमें कहीं न कहीं बाधक बन रही है। ऐसे में हमारी आने वाली पीढ़ी को बेहतर परिवेश व बेटियों को शिक्षा से जोड़ते हुए ऐसी कुरीतियों को समाज से खत्म करने में सभी का सहयोग आपेक्षित है। साथ हीं इस समस्या के निराकरण के लिए भय, प्रीत व जागरूकता के माध्यम से इसका व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा, ताकि अभियान को सरकारी कार्यक्रम न समझकर इसे सामाजिक मुहिम बनाते हुए अपनी भागीदारी सुनिश्चित कर सकें। इसके अलावे दहेज कूप्रथा को समाज से खत्म करने के उदेश्य से सबसे महत्वपूर्ण है कि आम जनमानस को जागरूक करते हुए सामाजिक, पारिवारिक व धार्मिक दृष्टिकोण से दहेज प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या से देश व समाज को होने वाले क्षति से अवगत कराया जायेगा, ताकि इस कूप्रथा को समाज से खत्म किया जा सके।

आगे उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने सभी को संबोधित करते हुए कहा कि महिलाएं त्याग के साथ अपने घर परिवार और समाज को नित्त नई दिशा देने का कार्य कर रही हे। ऐसे में आवश्यकता है कि उन्हें शिक्षित व आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कार्य किया जाय। वहीं पुराने जमाने में लड़की वालों की तरफ से लड़के वालों को उपहार स्वरूप कुछ वस्तुएं दी जाती थी। लेकिन फिर जैसे-जैसे भारत में प्रगति की तो लोगों के सोचने विचारने की मानसिकता भी बदलती गई। लड़कांे वालों को जो वस्तुएं उपहार स्वरूप मिलती थी अब वे लड़की वालों पर उपहार देने के लिए विशेष मांग करने लगे है। जब से लड़के वालों की तरफ से यह विशेष मांग होने लगी है तब से दहेज प्रथा की उत्पत्ति होने लगी थी। इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि जब लड़की और लड़के की शादी कर दी जाती है तो उनकी आर्थिक सहायता के लिए उनको कुछ रुपए दिए जाते थे ताकि वह अपना जीवन ठीक प्रकार से निर्वाह कर सकें। लेकिन समय बदलते के साथ दहेज प्रथा का जहरीला दंश सदियों से चला आ रहा है और अब लोगों ने इसको एक परंपरा का रूप दे दिया है जिसके कारण लोगों को लगता है कि दहेज देना अनिवार्य है। दहेज प्रथा के कारण सभी लोग अमीर परिवारों में ही शादी करना चाहते है क्योंकि उनको उम्मीद होती है कि वहां से उनको ज्यादा दहेज मिलेगा। जिससे गरीब परिवारों की लड़कियों की शादी नहीं हो पाती है और अगर कोई करना भी चाहता है तो लड़के वाले इतना दहेज मांगते है कि गरीब परिवार वाले दहेज की रकम को चुकाने में असमर्थ होते है। इसके कारण एक और गंभीर समस्या जन्म ले रही है। लड़कियों को कोख में ही मारे जाने लगा है क्योंकि हमारे आधुनिक भारत में अब गर्भ में ही पता लगाया जा सकता है कि लड़का होगा या लड़की, अगर गर्भ में लड़की पाई जाती है तो उसको कोख में ही मरवा दिया जाता है क्योंकि लोग सोचते है कि लड़कियां किसी काम की नहीं होती और उनकी शादी पर दहेज भी देना पड़ेगा। दहेज प्रथा अभी इतनी नासूर बन गई है कि इतने कई अमीर और गरीब परिवारों की जिंदगी तबाह कर दी है। जिसके कारण कई हंसते खेलते परिवार अब टूट गए है। दहेज प्रथा का यह विकराल रूप धारण करने के कई कारण है जैसे की हमारे समाज में चले आ रहे पुराने रीति रिवाज और लोगों का लालच, अशिक्षा, लोगों की दकियानूसी सोच के कारण इस प्रथा को बढ़ावा मिल रहा है। ऐसे में आवश्यकता है कि हम सभी को अपनी सोच व बेटियों के प्रति अपनी भावना को बदलते हुए उन्हें शिक्षित व सामर्थवान बनाने की दिशा में कार्य करने की आवश्यकता है, ताकि समाज से दहेज प्रथा, बाल विवाह व कन्या भ्रुण हत्या जैसी कुरीतियों को समाज से खत्म किया जा सके। साथ हु उप विकास आयुक्त, नगर आयुक्त व अनुमंडल पदाधिकारी ने अपने संबोधन में अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस की शुभकामनाएं दी।

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इसके अलावे कार्यक्रम के दौरान उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री द्वारा दिव्यांग जनों के बीच अनुश्रवण यंत्र एवं ट्राय सायकिल का वितरण किया। साथ ही नगर निगम परिसर में जेएसलपीएस, तेजस्वनी, समाज कल्याण विभाग एवं प्रोजेक्ट पंछी के तहत लगाए गए स्टॉल का निरीक्षण कर दीदियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए आभार व्यक्त किया।

उपायुक्त व अतिथियों द्वारा बालिकाओं व महिलाओं को किया गया सम्मानित….
इसके अलावे कार्यक्रम के दौरान सबल और शिक्षित समाज के निर्माण में महिलाओं की अहम भूमिका को सलाम करते हुए जिला अंतर्गत शिक्षा, खेल, सामाजिक क्षेत्र में बेहतर कार्य करने वाली 64 बालिकाओं व महिलाओं को उपायुक्त सह जिला दण्डाधिकारी मंजूनाथ भजंत्री द्वारा सम्मनित किया। इस दौरान वर्षा कुमारी व यासमीन प्रवीण बिना दहेज दिये शादी करने हेतु, ऋतिका भारती, कृतिका गुप्ता, संबिता कुमारी व साक्षी कुमारी कक्षा-12 वीं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु, प्राची कुमारी, खुशी कुमारी, अंकिता कुमारी, वेता कुमारी व अयमन रूमी कक्षा 10 वीं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु, प्रिया कुमारी व वर्षा कुमारी को देहज के खिलाफ आवाज उठाने हेतु व छोटी कुमारी, पूजा कुमारी व उजाला कुमारी को घर में शौचालय निर्माण करवाने हेतु, ज्योति कुमारी, रूपा कुमारी, काजल कुमारी, पूनम कुमारी को बाल विवाह रोकने हेतु, अनीता देवी केा आजीविका कृषक सखी, शांति देवी को आजीविका पशु सखी, अलीजा मिर्जा को बीसी सखी, सोनी देवी बैंक सखी एसबीआई सोनारायठाढ़ी, संगीता देवी को बैंक सखी एसबीआई सोनारायठाढ़ी, मधु कुमारी ,मति किस्कु, पूर्णिमा पाल, गीता कुमारी सिंह, मीना कुमारी हेम्ब्रम, पूजा गुप्ता, जीवनलता सोरेन, लक्ष्मी देवी, मंजू देवी को विभागीय योजना का शतप्रतिशत उपलब्धि, न्यूट्री, गार्डेन, साफ-सफाई, पंजी अद्यतन, शौचालय, बाल विवाह रोकथाम एवं दहेज प्रथा आदि के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य हेतु, रेखा देवी, प्रियंका कुमारी, स्नेहलता कुमारी, कुमारी सुमन लता, मेरीन मंजूषा कुजुर, मिनाक्षी, मिक्की रानी, शोभा कुमारी, रून्नु कुमारी मिश्रा, सोनी मरांडी, आरती कुमारी, पनपतिया देवी, कोलिया देवी, पूनम देवी, सानी देवी, विमला मेहतराईन को सफाई मित्र हेतु, व नीतू कुमारी, कुमारी अर्चना, रेखा नितु गुप्ता, बेबी पाण्डेय, चंचला देवी, चंदा देवी, रत्ना कुमारी, मिना देवी, मधु राणा, खुशबू देवी, रिता देवी एवं सुषमा देवी को सामुदायिक संसाधन सेवी हेतु प्रमाण पत्र दिया गया।

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